नयी सरहदों की तलाश

आध्यात्म पे चर्चा अक्सर दोनों पक्षों की हदों में आ कर अटक जाती है. एक की हद में आगे की सोंच नहीं होती, दूसरे की हद के उस पार सोंच को प्रत्यक्ष कर पाने का  तरीका नहीं होता. इसी हद और सरहद की जद्दोजेहद पे दो पंक्तियाँ...


जिन्हें जुनून है नए रास्तों का नई सरहदों का, मयस्सर हैं उनके ख़ातिर सुराग मंज़िलों के
रोशनदानों पे पर्दे हैं और दरवाजों पर ताले, और वो कहते हैं उन्हें रोशनियों का शौक़ है

- राकेश 

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