नए वर्ष का मंगल स्वागत
पल पल कर के आखिर फिर से, साल पुराना गुजर गया एक बार फिर सुबह हुई तो नया नया उत्साह भर गया नया नया सा क्या है इसमे, क्यों अज्ञात ख़ुशी है मन में यहीं सोंच कर खोया हूँ मैं, झांक रहा हूँ मन दर्पण में नए साल का पहला दिन भी, बीत चला है न जाने कब नए वर्ष की नयी रोशनी, चलो नया आरम्भ करें सब