होली 2023
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ऋतु वसंत ने दस्तक दे दी, मीठी हुई बयार
आम की बौरें पंचम सुर में सजधज के तैयार
पीली सरसों से खेतों का हुआ साज श्रृंगार
आई होली अपने मइके लोक लाज से पार
आज रगेंगे घर चौबारे खेत और खलिहान
रंग डालेंगे धरती सारी निकल पड़े ये ठान
रंग बिरंगी दौलत है ये सबकी एक समान
तन से छू के मन तक जाए ऐसे हैं ये रंग
घुल जाने दो धुल जाने दो शिकवे सब बदरंग
रह न जाए कोई अकेला ले लो सब को संग
आज शरारत माफ है सारी माफ है सब हुडदंग
कितनी जम के होली खेलीं कितने किये धमाल
हमको याद रहेंगे हरदम मस्ती भरे गुलाल
त्योहारों में रिश्ते बनते देखे कितने साल
अगली पीढ़ी में होली का कैसा होगा हाल
ढूंढ रही होली मइके में फिर से वो आनंद
भटके गली गली में लेकिन दरवाजे हैं बंद
सब अपने में मस्त व्यस्त हैं आया गया बसंत
चोली चुनरी बनके रह गए संस्कृति के पैबंद
माना दुनिया बदल रही है बदल गए हैं ढंग
संस्कृतियों के नए प्रयोगों की है नई तरंग
नए तरीके से होली में फिर से भरें उमंग
संभव जब तक चलें विरासत लेकर अपने संग
आम की बौरें पंचम सुर में सजधज के तैयार
पीली सरसों से खेतों का हुआ साज श्रृंगार
आई होली अपने मइके लोक लाज से पार
आज रगेंगे घर चौबारे खेत और खलिहान
रंग डालेंगे धरती सारी निकल पड़े ये ठान
रंग बिरंगी दौलत है ये सबकी एक समान
जिसको जितना प्यार मिला वो उतना ही धनवान
घुल जाने दो धुल जाने दो शिकवे सब बदरंग
रह न जाए कोई अकेला ले लो सब को संग
आज शरारत माफ है सारी माफ है सब हुडदंग
कितनी जम के होली खेलीं कितने किये धमाल
हमको याद रहेंगे हरदम मस्ती भरे गुलाल
त्योहारों में रिश्ते बनते देखे कितने साल
अगली पीढ़ी में होली का कैसा होगा हाल
ढूंढ रही होली मइके में फिर से वो आनंद
भटके गली गली में लेकिन दरवाजे हैं बंद
सब अपने में मस्त व्यस्त हैं आया गया बसंत
चोली चुनरी बनके रह गए संस्कृति के पैबंद
माना दुनिया बदल रही है बदल गए हैं ढंग
संस्कृतियों के नए प्रयोगों की है नई तरंग
नए तरीके से होली में फिर से भरें उमंग
संभव जब तक चलें विरासत लेकर अपने संग
- Rakesh
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