हम मिडिल क्लास वाले लोग


कवि स्पर्श पे जीवन के रंग, कविता के रूप में  / photo credit - Satheesh Vellinezhi


हम मिडिल क्लास वालों के पास जो थोड़ा बहुत पैसा है
वो भी एकदम मिडिल क्लास, बिलकुल हमारे जैसा है
पसीने में लिपटा रहता है कतरा कतरा बढ़ता है
जितना भी हो आखिर में फिर भी कम पड़ता है

मर मर के जो हम मिडिल क्लास वाले कमाते हैं
कितना भी बचा लें पर बचत ही करते रह जाते हैं
तनख्वाह हाथ में आते ही बब्बर शेर हो जाते हैं
महीना ख़तम होते होते फिर से ढेर हो जाते हैं

बहुत मेहनत करते हैं, खटते हैं, पसीना बहाते हैं
पर मंहगाई की सुरसा के आगे बौने रह जाते हैं
हम लकीर के फकीर हैं खतरों से दूर ही रहते हैं
खुशियों के इंतजार में उम्रभर सब कुछ सहते हैं

बड़े बड़े ख्वाब हैं तो हमारे खर्चों का भी लम्बा बहीखाता है
अच्छे, सस्ते, टिकाऊ से हमारा जन्म जन्मान्तर का नाता है
जब तक सांस चलती है हमारा उधार का हिसाब भी चलता है
हाथ में थोड़ा पैसा आया नही कि खरच डालने को जी मचलता है

चाय के बिना कोई सुबह सुबह नहीं, चाय के बिना कोई शाम नहीं ढलती
अगर चाय न हो जिंदगी में तो हम मिडिल क्लास वालों की जिंदगी नहीं चलती
चाय हमारी नसों में दौड़ती है, सच पूंछो तो हम चाय पे ही जीते हैं
चाय पे तो कभी भी बुला लो, खालिस दूध की अदरक वाली पीते हैं

पारले जी, मेरी गोल्ड या बोरबर्न, सब चाय में डुबा डुबा के खाते हैं
मिडिल क्लास वालों के बिस्किट हैं, अक्सर चाय में ही गिर जाते हैं
मस्त रहते हैं, क्लास बनाये रखने के लिए ग़ज़ल का शौक रखते हैं
देश के लिए बड़ा जज्बा है, लेकिन पड़ोसी की तरक्की से जलते हैं

हर फिफ्टी परसेंट डिस्काउंट वाली सेल हमारे लिए एक बड़ा त्यौहार है
फ्री का कुछ मिल जाये तो हर मिडिल क्लास वाला लपकने को तैयार है
दूसरों का माल कैसा भी हो हमेशा अपने वाले से बेहतर नज़र आता है
कार की सीट का प्लास्टिक कवर अनंतकाल तक नहीं उतारा जाता है

सब कुछ जरूरत से कम है पर ये कमी किसी को खलने नही देते
सबके सपने जिंदा रखते हैं अपनी उम्मीदों को कभी ढलने नही देते
गरीब ठीक से जी नहीं पाता है और अमीरों को जीना नहीं आता है
सच कहें तो ज़िन्दगी का असली मज़ा मिडिल क्लास में ही आता है

- Rakesh

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