ख़्वाहिशों का खेल

image credits: Sergey Nivens, ID 625010075/Shutterstock

हम बड़ी बड़ी ख़्वाहिशें तो रखते हैं लेकिन हमारा डर कभी कभी उनसे भी बड़ा हो जाता है. हम नाकाम तभी होते हैं जब हमारा जूनून और हमारी कोशिशें हमारे डर से हार जाते हैं| 


किनारों पे खड़े रहने वाले देखेंगे तमाशा और अपने अपने घर चले जायेंगे  
मगर कुछ ढूंढते हैं बेसब्र, कि इस जहाँ से आगे भी तो कोई दूसरा जहाँ होगा 
ज़ुनून ऐसा कि समंदर में बेख़ौफ़ उतरते हैं, लहरों से उलझने का जिगर रखते हैं    
तूफ़ानों को भी इल्म है कि दास्ताने-सफ़र में किस की सरफ़रोशी का बयां होगा 

- राकेश 

Comments

Popular posts from this blog

वक़्त की करवटें

ॐ नमो गं गणपतए शत कोटि नमन गणपति बप्पा

होली 2023