ये सफ़र बहुत है कठिन मगर....
स्टार्टअप मेरी सोंच और मेरी जिंदगी का एक बड़ा हिस्सा बन गया है. मेरे अनुभव में एक फाउंडर के लिए स्टार्टअप की यात्रा बड़ी व्यक्तिगत होती है जो गहरी छाप छोड़ जाती है. ऐसे ही एक फाउंडर ने स्टॉर्टअप के संघर्ष के दर्द को बयान करने के लिए मीर तकी मीर का ये शेर लिखा जिसने मुझे सोंच में डाल दिया.
सुबह होती रही, शाम होती है , उम्र यूं ही तमाम होती है
स्टार्टअप फाउंडर के लिए फिर मैंने कुछ पंक्तियाँ लिखीं जो हर स्टार्टअप फाउंडर के साथ साझा करना चाहूंगा:
मंज़िल दहलीज़ पे खड़ी है दबे पांव आके,
कोशिशों के सिलसिले तमाम होने से बचा
कारवां थम रहा है तेरे मायूस हो जाने से,
हाथों की लकीरों को बदनाम होने से बचा
सूरज अभी ढला नहीं, रात कहीं किनारे पे है,
फ़लक में रोशनी की एक लकीर अभी बाकी है
उम्मीदों को ज़िंदा रख, हौंसलों को बुलंद कर
ज़िन्दगी बदलने वाली तेरी तक़दीर अभी बाकी है
- राकेश
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