Posts

अंजाम-ए-मोहब्बत

Image
Photo credits: wallpapers.com ख़ूब मजमा लगा इश्क़ की हार पर  सारी दुनिया हंसी मेरे एतबार पर वो भी अपने ही थे जो गए छोड़ कर  क्या बड़ी बात है, अश्क थे बह गए जान भी होती क़ीमत तो मंज़ूर थी ज़िंदगी ना कभी ऐसे मजबूर थी लग गई दांव पर ग़ैरत-ए-इश्क़ जब  सी लिए ओंठ महफ़िल में चुप रह गए थी मुहब्बत तो सांसे भी चलती रहीं रख़्श-ए-उम्मीद में रातें ढलती रहीं उफ़ न की दर्द दिल का दफ़न कर लिया दाग-ए-दामन समझ कर दुआ सह गए  खेल महंगा पड़ा फर्त-ए-जज़्बात में दर्द बढ़ता गया हर मुलाक़ात में रंज रखते ज़माने से क्या उम्र भर कहने वाले हमें सर-फिरा कह गए - राकेश

होली 2023

Image
Image Source - Shutterstock ऋतु वसंत ने दस्तक दे दी, मीठी हुई बयार आम की बौरें पंचम सुर में सजधज के तैयार पीली सरसों से खेतों का हुआ साज श्रृंगार आई होली अपने मइके लोक लाज से पार आज रगेंगे घर चौबारे खेत और खलिहान रंग डालेंगे धरती सारी निकल पड़े ये ठान रंग बिरंगी दौलत है ये सबकी एक समान जिसको जितना प्यार मिला वो उतना ही धनवान तन से छू के मन तक जाए ऐसे हैं ये रंग घुल जाने दो धुल जाने दो शिकवे सब बदरंग रह न जाए कोई अकेला ले लो सब को संग आज शरारत माफ है सारी माफ है सब हुडदंग कितनी जम के होली खेलीं कितने किये धमाल हमको याद रहेंगे हरदम मस्ती भरे गुलाल त्योहारों में रिश्ते बनते देखे कितने साल अगली पीढ़ी में होली का कैसा होगा हाल   ढूंढ रही होली मइके में फिर से वो आनंद भटके गली गली में लेकिन दरवाजे हैं बंद सब अपने में मस्त व्यस्त हैं आया गया बसंत चोली चुनरी बनके रह गए संस्कृति के पैबंद माना दुनिया बदल रही है बदल गए हैं ढंग संस्कृतियों के नए प्रयोगों की है नई तरंग नए तरीके से होली में फिर से भरें उमंग संभव जब तक चलें विरासत लेकर अपने संग - Rakesh

हम मिडिल क्लास वाले लोग

Image
कवि स्पर्श पे जीवन के रंग, कविता के रूप में  / photo credit -  Satheesh Vellinezhi हम मिडिल क्लास वालों के पास जो थोड़ा बहुत पैसा है वो भी एकदम मिडिल क्लास, बिलकुल हमारे जैसा है पसीने में लिपटा रहता है कतरा कतरा बढ़ता है जितना भी हो आखिर में फिर भी कम पड़ता है मर मर के जो हम मिडिल क्लास वाले कमाते हैं कितना भी बचा लें पर बचत ही करते रह जाते हैं तनख्वाह हाथ में आते ही बब्बर शेर हो जाते हैं महीना ख़तम होते होते फिर से ढेर हो जाते हैं बहुत मेहनत करते हैं, खटते हैं, पसीना बहाते हैं पर मंहगाई की सुरसा के आगे बौने रह जाते हैं हम लकीर के फकीर हैं खतरों से दूर ही रहते हैं खुशियों के इंतजार में उम्रभर सब कुछ सहते हैं बड़े बड़े ख्वाब हैं तो हमारे खर्चों का भी लम्बा बहीखाता है अच्छे, सस्ते, टिकाऊ से हमारा जन्म जन्मान्तर का नाता है जब तक सांस चलती है हमारा उधार का हिसाब भी चलता है हाथ में थोड़ा पैसा आया नही कि खरच डालने को जी मचलता है चाय के बिना कोई सुबह सुबह नहीं, चाय के बिना कोई शाम नहीं ढलती अगर चाय न हो जिंदगी में तो हम मिडिल क्लास वालों की जिंदगी नहीं चलती चाय हमारी नसों में दौड़ती है, सच पूंछो त

बदलाव की आहुति

Image
कवि स्पर्श पे जीवन के रंग, कविता के रूप में  / photo credits: Pixabay/CC0 Public Domain मेरा अधिकार था तो मैंने इतिहास पर जी भर के उंगलियां उठाईं तुम्हे भी कल  ये  अधिकार होगा कि मुझे  तुम  कटघरे में ले आना  मेरे हिस्से का  जीवन  तो  ढल गया और हाथ कुछ आया नही तुम्हारी तो बस शुरुआत है, हो सके तो खाली हाथ मत जाना मेरे पास सवाल थे और उम्मीद थी कि  कल  नयी सुबह होगी     सुबह के इंतज़ार में बदलाव की नींव कई पीढ़ियां निगल गई लेकिन कल तुम्हारा होगा, बदलाव की डोर तुम्हारे हाथ होगी ये न कहना तुम्हारी भी जिंदगी गड़े मुर्दे उखाड़ने में निकल गई इतिहास की छांह में बदलाव की आग को राख न बनने देना झुलस लेना थोड़ा, नए कल की आंच से न डर जाना समुद्र के किनारों पे  दस्तक  दे रही है बदलाव की आंधी अब पुराने पेड़ टूटें तो न रुकना और न ही आंसू बहाना तुम्हे अपने कंधों पे हर गुजरी पीढ़ी का हाथ महसूस होगा उनके लिए बदलाव की हर चोट को सिर उठा के सहना ये उम्मीद न रखना कि आंधी थमेगी तुम्हारा जीवन ढलने तक महायज्ञ है ये, तुम्हारे बाद भी रहेगा, आहुति डालते रहना - राकेश

ॐ नमो गं गणपतए शत कोटि नमन गणपति बप्पा

Image
  गणेश चतुर्थी के उत्सव पर गणपति की अनुकम्पा ही रही होगी जो मेरे मन में उनकी स्तुति लिखने का आविर्भाव हुआ. शुरुआत की और कुछ दिनों में ये पूरी हुई. ये मेरे सृजन का समापन ही मेरा गणपति विसर्जन है, इस स्तुति को श्री गणेश जी के चरणों में समर्पित करता हूँ.  ॐ  हे एकदंत तुम दिग दिगंत तुम दयावंत गणपति बप्पा हे सिद्धिविनायक विघ्नेश्वर सब विघ्न हरो, गणपति बप्पा तुम ज्ञानमयी विज्ञानमयी तुम कालजयी गणपति बप्पा हे प्रमथपती परब्रह्म प्रकट प्रत्यक्ष प्रणव गणपति बप्पा अर्धेंदु लसित हे वक्रतुंड तुम प्रथम पूज्य गणपति बप्पा तुम कोटि सूर्य से दीप्त प्रभू तुम ज्ञानपुंज गणपति बप्पा गण भूत चराचर सकल सृष्टि के मूल तुम्ही गणपति बप्पा तुम निर्विकार नित नवचेतन साक्षात ब्रह्म गणपति बप्पा करबद्ध दंडवत नतमस्तक हम द्वार तेरे गणपति बप्पा चित रूप धरो सब त्रास हरो उद्धार करो गणपति बप्पा तुम त्रिगुण त्रिलोक त्रिकाल परे गौरीनंदन गणपति बप्पा मोदक का करते भक्तिभोग मन मुग्ध मगन गणपति बप्पा सम्पूर्ण सृष्टि पर कृपादृष्टि की वृष्टि करो गणपति बप्पा शिवपुत्र मनोहर स्वयंसिद्ध करुणावतार गणपति बप्पा गणराज गजानन गणनायक गजशूर्पकर्ण ग

वक़्त की करवटें

Image
कवि स्पर्श पे जीवन के रंग, कविता के रूप में /    Image by  annca  from  Pixabay   एक बड़े आरसे के बाद कुछ लिखा इस बार. लिख कर अच्छा लगा और उम्मीद करता हूँ लोगों को पढ़ के अच्छा लगेगा. हालाँकि उर्दू में हाथ थोड़ा तंग है इसलिए अगर जानकार लोग कुछ गलतियाँ पाएं तो बताएं जरूर, हर कोशिश रहेगी सुधार करने की. अर्ज़ है.....  क्या वक्त के मिज़ाज थे, कैसा इत्मीनान था ज़िन्दगी में यही आसमां, यही चांद और यही रात हुआ करती थी मगर चाँद की रोशनी में कुछ और ही बात हुआ करती थी। सजती है ज़िन्दगी की जो दास्तां अब महफ़िलों में ग़ज़ल बनके वो दास्तां कभी ख़ामोश रूहानी जज़्बात हुआ करती थी। ऐशोआराम से लबालब फिर भी छटपटाती है ज़िन्दगी  फुटकर ख़्वाबों और ख़्वाहिशों  भर से आबाद हुआ करती थी। जो चला रहे हैं आज शराफ़त की चमकदार दुकानें इस  दुनिया में मुहल्ले में सबसे मशहूर उन्हीं की ख़ुराफ़ात हुआ करती थी। दूर ही दूर से अब याद कर लेते हैं जो पड़ने पे ग़रज़   इन्ही दोस्तों से नुक्कड़ पे यूं ही घंटो मुलाकात हुआ करती थी। क्या हुनर रखते हैं जज़्बातों को तमाशा बना के बेचने वाले कोई याद दिलाए कितनी पाकीज़ा एहसासों की सौगात हुआ करती थी। बे

होली 2021

गालों के इंतज़ार में तरसें न जो गुलाल सूखी रहे चुनरी तो क्या पिचकारियों की शान है तेज़ हवाओं में नरम धूप की गरमी ठंडाई चढ़े भांग तो होली में आये जान गुझियों में सिंक रही है रिश्तों की चाशनी कोई खा के मौज में तो कोई देख के ही मस्त कहीं रंग की बौछार तो कहीं ढोल मजीरे होली की टोलियों में है हुड़दंग जबरदस्त दामन पे लगे दाग न रंगों की ओट में रिश्तों की हर इक गांठ को होली में दहन कर होली तो सब की एक पर किस्से हैं हज़ारों रंगों की इस बरसात में धुल जाने दो नज़र गली गली में गूंज रहे हैं झांझ मंजीरे ढोलक ताली याद रहेगी होली अपनी जीवन भर ये मस्ती वाली